एक जनवरी 1841 को दोनों की शादी तय हुई. लेकिन, शादी से कुछ महीने पहले ही लिंकन समझ गए थे कि यह महिला उनके लिए बिलकुल सही नहीं है और अगर यह शादी हुई तो उनकी जिंदगी किसी नर्क से कम नहीं होगी. लेकिन, सरल स्वभाव के लिंकन मैरी से यह बात कहने से भी डरते थे. हैंड्रन लिखते हैं कि दोस्तों के बहुत समझाने पर उन्होंने एक दिन मैरी से यह बात कह दी. लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला क्योंकि रोती हुई मैरी को देखकर उनका कोमल ह्रदय पिघल गया. हालांकि, इसके बाद भी वे मैरी से शादी करने के खयाल से डरते रहे. उनके कई दोस्त बताते हैं कि वे उन दिनों इस बात से इतना ज्यादा परेशान रहा करते थे कि खाना तक छोड़ दिया था. उनकी सेहत दिन पर दिन गिरती जा रही थी. वे घंटों बैठे आसमान को ताकते हुए खोये रहते थे. आखिरकार, एक जनवरी 1841 का वह दिन आया जब उनकी शादी थी लेकिन, लिंकन इस शादी में नहीं पहुंचे.
हैंड्रन की मानें तो इस घटना ने मैरी जैसी झूठी शान में रहने वाली महिला के आत्मसम्मान को झकझोर दिया था. इस घटना के दो साल तक लिंकन मैरी से दूर रहे और उससे नहीं मिले. वे इस घटना के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए अवसाद से ग्रस्त भी हो गए थे. बताया जाता है कि इस दौरान लोग उन्हें मानसिक तौर पर बीमार समझने लगे थे. एक चाक़ू जो उनकी जेब में रहता था उनके दोस्तों ने निकाल लिया था क्योंकि इस दौरान वे आत्महत्या करने जैसी बातें करने लगे थे. उन्होंने उस समय राज्य विधायिका को, जिसके वे सदस्य थे, एक पत्र लिखकर बताया था कि वे इस समय इतने ज्यादा दुखी हैं कि अगर यह दुख उनके राज्य के लोगों को बांट दिया जाये तो कोई हंसता हुआ नजर नहीं आएगा. हालांकि, दोस्तों की मदद से धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार हुआ. लेकिन, वे मन ही मन यह चाहते थे कि मैरी किसी और से शादी कर ले और खुश रहे.
दूसरी ओर प्रतिशोध की भावना लिए बैठी मैरी टॉड ने लिंकन से ही शादी करने की कसम खा ली थी. करीब डेढ़ साल बाद उसने अपने एक मित्र के जरिए किसी बहाने से लिंकन को मित्र के घर बुलवाया. उसने लिंकन के सामने जमकर आंसू बहाए. लिंकन एक बार फिर मैरी के आंसू देखकर पिघल गए और यहीं से फिर उनकी मुलाकातों के सिलसिले शुरू हो गए. कुछ ही महीने बाद न चाहते हुए भी लिंकन को मैरी से शादी के लिए हामी भरनी पड़ी. उनके एक दोस्त कहते हैं कि शादी के दिन लिंकन ऐसे मालूम पड़ रहे थे जैसे कि उनका कत्ल होने जा रहा हो. हैंड्रन उस दिन का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब लिंकन शादी के लिए तैयार हो रहे थे तभी उनके एक दोस्त के बेटे ने उनसे पूछा कि वे कहां जा रहे हैं, तो उनके मुंह से निकला - ’नरक में जा रहा हूं बेटा.’
हालांकि, कई अमेरिकी जानकार ये भी कहते हैं कि भले ही मैरी ने पूरी जिंदगी लिंकन से अपने अपमान का बदला लिया हो. लेकिन, यह भी सच है कि अगर लिंकन की शादी उससे न हुई होती तो वे अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बनते. वे कहते हैं कि मैरी पहले से ही बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी थी और व्हाइट हाउस के सपने देखती थी. उसे डगलस के बाद लिंकन में ही यह संभावना नजर आई थी. ये लोग बताते हैं कि लिंकन राजनीतिक गतिविधियों और चिंतन में बहुत ज्यादा ढीले थे. वो मैरी ही थी जो उन्हें हमेशा राजनीतिक सफलता पाने के लिए उकसाती या उत्साहित करती रहती थी. वही थी जिसने शादी होते ही लिंकन का प्रतिनिधि सभा की सदस्यता के लिये पहली बार नामांकन करवाया. दो बार सीनेट का चुनाव हारने के बाद भी मैरी ने ही उन्हें पीछे नहीं हटने दिया था.