लिंकन के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी गरीबी नहीं, पत्नी थी, जो उनके राष्ट्रपति बनने की वजह भी थी
अब्राहम लिंकन के जीवन का यह ऐसा पक्ष है जिसे ज्यादातर लोग नहीं जानते, लेकिन इसी ने उन्हें राष्ट्रपति बनाने में सबसे अहम भूमिका निभायी थी
अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को अधिकांश लोग उनकी दयालुता, गरीबी से उठकर राष्ट्रपति बनने तक के संघर्ष और दास प्रथा से मुक्ति दिलाने वाले नायक के रूप में जानते हैं. लिंकन के बारे में ज्यादातर लोगों का ज्ञान यहीं तक होता है कि वे कड़ाके की सर्दी में लकड़ी के फट्टों से बने एक झोपड़े में पैदा हुए थे, मीलों चलकर पढ़ने के लिए किताबें उधार लेकर आते थे और रात में अंगीठी की या लुहार की दुकान में जल रही भट्टी की रोशनी में बैठकर पढ़ते थे. उन्होंने सुअर काटने से लेकर लकड़हारे तक का काम किया, खेतों में मजदूरी की, अपने शहर के सबसे ईमानदार वकील कहलाए, जज डगलस से यादगार बहस की और उसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बने. यही वे बातें हैं जो लोग अब्राहिम लिंकन के बारे में जानते हैं. उनकी गरीबी और शुरूआती राजनीतिक विफलताओं (जिनकी वजह से उन्होंने एक बार राजनीति से संन्यास भी ले लिया था) को उनके जीवन की सबसे दुखदाई और त्रासद घटनाओं के रूप में जाना जाता है.
इस सबके अलावा उनके जीवन का एक बड़ा पक्ष ऐसा है जिससे लोग अपरिचित ही रह जाते हैं या इसे केवल वही जानते हैं जिन्हें लिंकन के जीवन में विशेष दिलचस्पी रहती हो. यह एक ऐसा पक्ष है जिसे कुछ लोग उनके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी भी मानते हैं और यह भी कि अगर यह त्रासदी न होती तो वे अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन पाते. यह त्रासदी थी उनका दांपत्य जीवन.
1842 में ‘स्प्रिंग फील्ड’ कस्बे में मैरी टॉड से उनका विवाह हुआ था. उनके सबसे करीबी और 20 साल तक वकालत में उनके सहयोगी रहे विलियम एच हैंड्रन ने लिंकन की जीवनी में लिखा है कि विवाह का दिन लिंकन के लिए ख़ुशी का आखिरी दिन था. वे मैरी टॉड के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वह ऊंची राय रखने वाली, घमंडी और नकचढ़ी महिला थी जिसे अपना आपा खोने के लिए पूरा शहर जानता था. उनके अनुसार इंसान की अतिमहत्वाकांक्षाओं को एक खूबसूरत चित्र के मार्फत दर्ज किया जाए तो वह शर्तिया मेरी टॉड का रूप लेगी. मैरी की बहन जिसके साथ वह कई वर्षों तक रही, वह भी कहती थी कि मैरी चमक-दमक, शक्ति और प्रदर्शन पसंद करती थी और उसकी जानकारी में वह दुनिया की सबसे महत्वाकांक्षी महिला थी.
हैंड्रन बताते हैं - इस महिला में गजब की महत्वाकांक्षा और आत्मविश्वास था जिसका पता इसी बात से चलता है कि उसने कई वर्ष पहले ही कह दिया था कि वह उसी व्यक्ति से शादी करेगी जो आगे जाकर अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा. इस बात पर लोग उसका मजाक भी बनाया करते थे, लेकिन वह इस पर अड़ी रहती थी. यह बात वह तब कहा करती थी जब कोई सपने में भी वकालत में संघर्ष कर रहे लिंकन के राष्ट्रपति बनने के बारे नहीं सोच सकता था.
अक्टूबर 1842 में शादी के बाद स्प्रिंगफील्ड में ये लोग कई दिनों तक कैथरीन नाम की एक महिला के घर में किराए पर रहे. कैथरीन ने हैंड्रन को एक घटना का जिक्र करते हुए बताया था कि मैरी टॉड लिंकन के साथ जानवरों से भी बुरा सलूक करती थीं. एक बार सुबह नाश्ते की मेज पर वह इतनी नाराज हो गई कि उसने सभी के सामने लिंकन के मुंह पर गर्म चाय का प्याला दे मारा. कैथरीन के मुताबिक चौंकाने वाली बात यह थी कि लिंकन को इस घटना पर बिलकुल गुस्सा नहीं आया वे शांत बैठे रहे.
अमेरिका के चर्चित लेखक डेल कारनेगी भी लिंकन के वैवाहिक जीवन के बारे में लिखते हैं कि शादी के कुछ दिनों बाद ही मैरी टॉड अक्सर लिंकन पर चीखती-चिल्लाती, उन्हें एक छड़ी के सहारे घर से बाहर निकालती हुई दिख जाती थी. वे कहते हैं कि मैरी लिंकन के पहनावे और रहन-सहन से भी काफी ज्यादा नाराज रहती थी और अक्सर लोगों के सामने उनका मजाक बनाते दिख जाया करती थी. वह कहा करती, ‘जिस तरह तुम्हारे लंबे कान सिर से समकोण बनाते हुए निकले हुए हैं, मुझे पसंद नहीं हैं, तुम्हारी नाक सीधी नहीं है, निचला होंठ लटका हुआ है, तुम्हारे हाथ-पैर बहुत ज्यादा लंबे हैं, जबकि सिर छोटा है और तुम भयानक दिखते हो.’ मैरी हमेशा उनके रहन-सहन को लेकर उन्हें सुनाती और इसे सुधारने को कहती, लेकिन लिंकन अपने स्वभाव की वजह से इस पर ध्यान नहीं देते. उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वे क्या पहने हैं? जबकि बड़े घराने से ताल्लुक रहने वाली मैरी को इससे बहुत फर्क पड़ता था.
कारनेगी के मुताबिक मैरी के स्वभाव की वजह से कोई पड़ोसी, दोस्त और रिश्तेदार उनके घर नहीं आता था. यहां तक कि लिंकन की सौतेली मां जिनसे वे बहुत प्यार करते थे और जो उनके घर से मात्र बीस मील दूर ही रहती थीं, कभी लिंकन के घर नहीं आईं. बताते हैं कि लिंकन खुद ऑफिस के बाद घर जाने के नाम से घबराते थे. वे अक्सर अपने मित्रों से कहते थे कि उन्हें सबसे ज्यादा नफरत घर जाने से है.
विलियम एच हैंड्रन अपनी किताब में लिंकन के साथ बिताए बीस सालों की दिनचर्या के बारे लिखते हैं, जिससे उनकी स्थिति का अंदाजा होता है - ‘ अक्सर लिंकन सात बजे ही ऑफिस आ जाते थे और मैं इसके एक घंटे बाद, जब भी ऐसा होता मैं समझ जाता कि घरेलू समंदर के ऊपर से कोई तेज हवा गुजरी है और लहरें अशांत हैं. वे खिड़की से पैर टिकाये आकाश को देखते रहते, मेरे आने पर वे मेरी तरफ देखते भी नहीं, मेरी ‘गुड मार्निग’ का जवाब वे एक ‘हूं’ की आवाज से देते. मैं तुरंत अपने आपको काम में व्यस्त कर लेता, लेकिन, उनके दुख और तनाव की मौजूदगी इतनी स्पष्ट और उनकी चुप्पी इतनी अर्थपूर्ण होती थी कि मैं खुद तनावग्रस्त हो जाता. मैं किसी बहाने कमरा छोड़ कर चला जाता. ऐसे में वे अपनी उदासी के साथ अकेले रह जाते. मैं घूम-फिरकर एक घंटे बाद वापस आता तब तक कोई न कोई मुवक्किल आ चुका होता और उनकी उदासी के बादल छंट चुके होते. लंच के समय कुछ खाने मैं घर चला जाता लेकिन लिंकन हमेशा पड़ोस की दुकान से लाये हुए बिस्कुट और चीज खाया करते थे. शाम होने पर मैं ऑफिस से चला जाता लेकिन वे इसके बाद भी नहीं जाते थे और ऑफिस की सीढियों पर लोगों को किस्से सुनाते हुए अपना समय काटते. सबकुछ बंद हो जाने पर देर रात तक ऑफिस में जलती हुई लाइट उनके वहां होने की चुगली करती थी. जब सारी दुनिया नींद के आगोश में होती तब वह लंबे कद का आदमी, जिसे एक दिन अमेरिका का राष्ट्रपति बनना था, वीरान सडकों पर घूमता पाया जाता था... देर रात किसी समय वह अपने उस मकान में प्रवेश कर जाता था, जिसे दुनिया घर कहने में सुख पाती है. कुछ लोग कह सकते हैं कि यह तस्वीर कुछ ज्यादा ही गाढ़ी उकेरी गई है. लेकिन मैं यही कहूंगा कि ऐसा कहने वाले लिंकन की सच्चाई से परिचित नहीं हैं.’
मैरी टॉड के ऐसे व्यवहार के कारण ही लिंकन के कई दोस्त और व्हाइट हाउस के कई कर्मचारी उन्हें जंगली बिल्ली, मादा भेड़िया, चुड़ैल और शैतान जैसे शब्दों से परिभाषित किया करते थे. कुछ लोग उसे मनोरोगी भी मानते थे. इन लोगों का तर्क था कि मैरी के माता-पिता चचेरे भाई-बहन थे, इसलिए शायद उसमें ऐसी प्रवत्तियां घर कर गई थीं. बताते हैं कि गोली लगने के बाद जब राष्ट्रपति भवन में लिंकन कराह रहे थे तो मैरी रोती हुई उनके पास गई और उनके सर पर हाथ फिराना शुरू कर दिया तो लिंकन और तेजी से कराहने लगे थे. इसके बाद वहां के अधिकारी और लिंकन के एक करीबी ने गुस्से में चीखते हुए मैरी टॉड को वहां से दूर जाने को कहा था.
मैरी टॉड के ऐसे व्यवहार का कारण
भले ही कुछ लोग मैरी के लिंकन के प्रति व्यवहार को अपनी तरह से परिभाषित करने की कोशिश करते हों. लेकिन, इसके पीछे भी एक बड़ी घटना थी जिसके लिए काफी हद तक लिंकन ही जिम्मेदार थे. 1839 में मैरी पहली बार लिंकन से स्प्रिंगफील्ड में मिली थी. लेकिन, उस समय वह स्टीफेन ए डगलस जो राष्ट्रपति चुनाव में लिंकन के प्रतिद्वंदी थे, की करीबी थी. उस समय डगलस एक उगते सितारे की तरह थे और जाहिर है, महत्वाकाक्षी मैरी की पहली पसंद वही थे. डगलस ने मैरी से विवाह का प्रस्ताव रखा था. लेकिन, वे समय रहते उसे पहचान गए और उन्होंने उससे दूरी बना ली. डगलस की ईर्ष्या को जगाने के लिए ही मैरी ने लिंकन से नजदीकी बढ़ाई थी. लेकिन जब उसने लिंकन की वाकपटुता और राजनीतिक हुनर को देखा तो उनसे शादी करने का फैसला कर लिया.
एक जनवरी 1841 को दोनों की शादी तय हुई. लेकिन, शादी से कुछ महीने पहले ही लिंकन समझ गए थे कि यह महिला उनके लिए बिलकुल सही नहीं है और अगर यह शादी हुई तो उनकी जिंदगी किसी नर्क से कम नहीं होगी. लेकिन, सरल स्वभाव के लिंकन मैरी से यह बात कहने से भी डरते थे. हैंड्रन लिखते हैं कि दोस्तों के बहुत समझाने पर उन्होंने एक दिन मैरी से यह बात कह दी. लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला क्योंकि रोती हुई मैरी को देखकर उनका कोमल ह्रदय पिघल गया. हालांकि, इसके बाद भी वे मैरी से शादी करने के खयाल से डरते रहे. उनके कई दोस्त बताते हैं कि वे उन दिनों इस बात से इतना ज्यादा परेशान रहा करते थे कि खाना तक छोड़ दिया था. उनकी सेहत दिन पर दिन गिरती जा रही थी. वे घंटों बैठे आसमान को ताकते हुए खोये रहते थे. आखिरकार, एक जनवरी 1841 का वह दिन आया जब उनकी शादी थी लेकिन, लिंकन इस शादी में नहीं पहुंचे.
हैंड्रन की मानें तो इस घटना ने मैरी जैसी झूठी शान में रहने वाली महिला के आत्मसम्मान को झकझोर दिया था. इस घटना के दो साल तक लिंकन मैरी से दूर रहे और उससे नहीं मिले. वे इस घटना के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए अवसाद से ग्रस्त भी हो गए थे. बताया जाता है कि इस दौरान लोग उन्हें मानसिक तौर पर बीमार समझने लगे थे. एक चाक़ू जो उनकी जेब में रहता था उनके दोस्तों ने निकाल लिया था क्योंकि इस दौरान वे आत्महत्या करने जैसी बातें करने लगे थे. उन्होंने उस समय राज्य विधायिका को, जिसके वे सदस्य थे, एक पत्र लिखकर बताया था कि वे इस समय इतने ज्यादा दुखी हैं कि अगर यह दुख उनके राज्य के लोगों को बांट दिया जाये तो कोई हंसता हुआ नजर नहीं आएगा. हालांकि, दोस्तों की मदद से धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार हुआ. लेकिन, वे मन ही मन यह चाहते थे कि मैरी किसी और से शादी कर ले और खुश रहे.
दूसरी ओर प्रतिशोध की भावना लिए बैठी मैरी टॉड ने लिंकन से ही शादी करने की कसम खा ली थी. करीब डेढ़ साल बाद उसने अपने एक मित्र के जरिए किसी बहाने से लिंकन को मित्र के घर बुलवाया. उसने लिंकन के सामने जमकर आंसू बहाए. लिंकन एक बार फिर मैरी के आंसू देखकर पिघल गए और यहीं से फिर उनकी मुलाकातों के सिलसिले शुरू हो गए. कुछ ही महीने बाद न चाहते हुए भी लिंकन को मैरी से शादी के लिए हामी भरनी पड़ी. उनके एक दोस्त कहते हैं कि शादी के दिन लिंकन ऐसे मालूम पड़ रहे थे जैसे कि उनका कत्ल होने जा रहा हो. हैंड्रन उस दिन का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब लिंकन शादी के लिए तैयार हो रहे थे तभी उनके एक दोस्त के बेटे ने उनसे पूछा कि वे कहां जा रहे हैं, तो उनके मुंह से निकला - ’नरक में जा रहा हूं बेटा.’
हालांकि, कई अमेरिकी जानकार ये भी कहते हैं कि भले ही मैरी ने पूरी जिंदगी लिंकन से अपने अपमान का बदला लिया हो. लेकिन, यह भी सच है कि अगर लिंकन की शादी उससे न हुई होती तो वे अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बनते. वे कहते हैं कि मैरी पहले से ही बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी थी और व्हाइट हाउस के सपने देखती थी. उसे डगलस के बाद लिंकन में ही यह संभावना नजर आई थी. ये लोग बताते हैं कि लिंकन राजनीतिक गतिविधियों और चिंतन में बहुत ज्यादा ढीले थे. वो मैरी ही थी जो उन्हें हमेशा राजनीतिक सफलता पाने के लिए उकसाती या उत्साहित करती रहती थी. वही थी जिसने शादी होते ही लिंकन का प्रतिनिधि सभा की सदस्यता के लिये पहली बार नामांकन करवाया. दो बार सीनेट का चुनाव हारने के बाद भी मैरी ने ही उन्हें पीछे नहीं हटने दिया था.
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