नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का शुक्रवार को जारी किया गया. इस साल अप्रैल से जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5 फीसदी रह गई. आर्थिक वृद्धि दर को जीडीपी का ग्रोथ रेट भी कहते हैं. सवाल है कि जीडीपी रेट में कमी आने के मायने क्या हैं, इसका आप पर क्या असर पड़ता है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
गरीब लोगों पर ज्यादा मार
जीडीपी रेट में गिरावट का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ता है. भारत मे आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है. इसलिए आर्थिक वृद्धि दर घटने का ज्यादा असर गरीब तबके पर पड़ता है. इसका असर आपको वॉलेट पर भी पड़ता है. इसकी वजह यह है कि लोगों की औसत आय घट जाती है. नई नौकरियां पैदा होने की रफ्तार घट जाती है.
इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आर नागराज ने जीडीपी ग्रोथ में कमी के असर को एक उदाहरण से समझाने की कोशिश की है. उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 में प्रति व्यक्ति मासिक आय 10,534 रुपये थी. सालाना 5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का मतलब है कि वित्त वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 526 रुपये बढ़ेगी.
घट जाती है प्रति व्यक्ति आयनागराज ने कहा, "अगर प्रति व्यक्ति मासिक आय 4 फीसदी बढ़ती है तो आय में सिर्फ 421 रुपये की वृद्धि होगी. इसका मतलब है कि ग्रोथ रेट में 1 फीसदी की कमी से प्रति व्यक्ति मासिक आय 105 रुपये तक घट जाती है. दूसरे शब्दों में जीडीपी का सालाना ग्रोथ रेट 5 फीसदी से घटकर 4 फीसदी पर आ जाने का मतलब आय में हर महीने 105 रुपये की कमी है."
गरीब लोगों पर ज्यादा मार
घट जाती है प्रति व्यक्ति आयनागराज ने कहा, "अगर प्रति व्यक्ति मासिक आय 4 फीसदी बढ़ती है तो आय में सिर्फ 421 रुपये की वृद्धि होगी. इसका मतलब है कि ग्रोथ रेट में 1 फीसदी की कमी से प्रति व्यक्ति मासिक आय 105 रुपये तक घट जाती है. दूसरे शब्दों में जीडीपी का सालाना ग्रोथ रेट 5 फीसदी से घटकर 4 फीसदी पर आ जाने का मतलब आय में हर महीने 105 रुपये की कमी है."
इस हिसाब से एक साल में एक व्यक्ति को आय में 1,260 रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा. यह गौर करने वाली बात है कि जीडीपी की ग्रोथ तिमाही दर तिमाही घट रही है. इस साल अप्रैल-जून तिमाही में यह 5 फीसदी पर आ गई है. वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में यह 8 फीसदी थी. इकनॉमिक रिसर्च से जुड़ी ज्यादातर संस्थाओं ने पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है.
ग्रोथ रेट छह साल में सबसे कम रहने के आसारइंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने 28 अगस्त को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.3 से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. यह छह साल में सबसे कम ग्रोथ है. उसने कहा है कि चालू वित्त वर्ष कमजोर ग्रोथ वाला लगातार तीसरा साल होगा.
मूडी इनवेस्टर्स सर्विस ने वित्त वर्ष 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है. उसने कहा कि इस दौरान अर्थव्यवस्था पर घरेलू और बाहरी दबाव बने रहने के आसार हैं.
मैन्यूफैक्चरिंग ग्रोथ रेट घटने से बिगड़े हालातइक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री आदिती नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी और जीवीए की ग्रोथ की रफ्तार अनुमान के मुकाबले काफी कम रही है. मैन्यूफैक्चरिंग जीवीए की ग्रोथ घटने से ऐसा हुआ है. दूसरे सेक्टरों का प्रदर्शन कमोबेश उम्मीद के मुताबिक रहा है.
जीडीपी ग्रोथ घटने से आम आदमी पर पड़ने वाले असर के बारे में नागराज ने कहा कि जीडीपी में कमी का मतलब है कि प्रति व्यक्ति आय में भी उसी अनुपात में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में असामनता की बड़ी खाई को देखते हुए इस बात की आशंका है कि जीडीपी में कमी का असर अमीर लोगों के मुकाबले गरीब लोगों पर ज्यादा पड़ेगा.
नागराज ने कहा, "इससे गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है. इसके अलावा रोजगार की दर में भी गिरावट आ सकती है." स्थिर मूल्य (2011-12) पर वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी 35.85 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में यह 34.14 लाख करोड़ रुपये थी. इस तरह ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहा.
ग्रोथ रेट छह साल में सबसे कम रहने के आसारइंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने 28 अगस्त को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.3 से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. यह छह साल में सबसे कम ग्रोथ है. उसने कहा है कि चालू वित्त वर्ष कमजोर ग्रोथ वाला लगातार तीसरा साल होगा.
मूडी इनवेस्टर्स सर्विस ने वित्त वर्ष 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है. उसने कहा कि इस दौरान अर्थव्यवस्था पर घरेलू और बाहरी दबाव बने रहने के आसार हैं.
मैन्यूफैक्चरिंग ग्रोथ रेट घटने से बिगड़े हालातइक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री आदिती नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी और जीवीए की ग्रोथ की रफ्तार अनुमान के मुकाबले काफी कम रही है. मैन्यूफैक्चरिंग जीवीए की ग्रोथ घटने से ऐसा हुआ है. दूसरे सेक्टरों का प्रदर्शन कमोबेश उम्मीद के मुताबिक रहा है.
जीडीपी ग्रोथ घटने से आम आदमी पर पड़ने वाले असर के बारे में नागराज ने कहा कि जीडीपी में कमी का मतलब है कि प्रति व्यक्ति आय में भी उसी अनुपात में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में असामनता की बड़ी खाई को देखते हुए इस बात की आशंका है कि जीडीपी में कमी का असर अमीर लोगों के मुकाबले गरीब लोगों पर ज्यादा पड़ेगा.
नागराज ने कहा, "इससे गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है. इसके अलावा रोजगार की दर में भी गिरावट आ सकती है." स्थिर मूल्य (2011-12) पर वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी 35.85 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में यह 34.14 लाख करोड़ रुपये थी. इस तरह ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहा.