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मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019

श्री लाल बहादुर शास्त्री:knowledge

श्री लाल बहादुर शास्त्री
9 जून, 1964 – 11 जनवरी, 1966 | कॉन्ग्रेस
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूरएक छोटे से रेलवे टाउनमुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे।जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था।उनकी माँ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं।
उस छोटसे शहर में लाल बहादुर की स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही लेकिन गरीबी की मार पड़ने के बावजूद उनका बचपन पर्याप्त रूप से खुशहाल बीता।
उन्हें वाराणसी में चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया था ताकि वे उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सकें। घर पर सब उन्हें नन्हे के नाम से पुकारते थे
वे कई मील की दूरी नंगे पांव से ही तय कर विद्यालय जाते थेयहाँ तक की भीषण गर्मी में जबसड़कें अत्यधिक गर्म हुआ करती थीं तब भी उन्हें ऐसे ही जाना पड़ता था।
बड़े होने के साथ ही लाल बहादुर शास्त्री विदेशी दासता से आजादी के लिए देश के संघर्ष में अधिक रुचि रखने लगे।वे भारत में ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रहे भारतीय राजाओं की महात्मा गांधी द्वारा की गईनिंदा से अत्यंत प्रभावित हुए।लाल बहादुर शास्त्री जब केवल ग्यारह वर्ष के थे तब से ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कुछ करने का मन बना लिया था।
गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने देशवासियों से आह्वान किया था,इस समय लाल बहादुर शास्त्री केवल सोलह वर्ष के थे।उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था।
उनके इस निर्णय ने उनकी मां की उम्मीदें तोड़ दीं।उनके परिवार ने उनके इस निर्णय को गलत बताते हुए उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वे इसमें असफल रहे। लाल बहादुर ने अपना मन बना लिया था।उनके सभी करीबी लोगों को यह पता था कि एक बार मन बना लेने के बाद वे अपना निर्णय कभी नहीं बदलेंगें क्योंकि बाहर से विनम्र दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से चट्टान की तरह दृढ़ हैं।
लाल बहादुर शास्त्री ब्रिटिश शासन की अवज्ञा में स्थापित किये गए कई राष्ट्रीय संस्थानों में से एक वाराणसी के काशी विद्या पीठ में शामिल हुए।यहाँ वे महान विद्वानों एवं देश के राष्ट्रवादियों के प्रभाव में आए।विद्या पीठ द्वारा उन्हें प्रदत्त स्नातक की डिग्री का नाम ‘शास्त्री’ था लेकिन लोगों के दिमाग में यह उनके नाम के एक भाग के रूप में बस गया।
1927 में उनकी शादी हो गई।उनकी पत्नी ललिता देवी मिर्जापुर से थीं जो उनके अपने शहर के पास ही था।उनकी शादी सभी तरह से पारंपरिक थी।दहेज के नाम पर एक चरखा एवं हाथ से बुने हुए कुछ मीटर कपड़े थे।वे दहेज के रूप में इससे ज्यादा कुछ और नहीं चाहते थे।
1930 में महात्मा गांधी ने नमक कानून को तोड़ते हुए दांडी यात्रा की।इस प्रतीकात्मक सन्देश ने पूरे देश में एक तरह की क्रांति ला दी।लाल बहादुर शास्त्री विह्वल ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता के इस संघर्ष में शामिल हो गए।उन्होंने कई विद्रोही अभियानों का नेतृत्व किया एवं कुल सात वर्षों तक ब्रिटिश जेलों में रहे।आजादी के इस संघर्ष ने उन्हें पूर्णतः परिपक्व बना दिया।
आजादी के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आईउससे पहले ही राष्ट्रीय संग्राम के नेता विनीत एवं नम्र लाल बहादुर शास्त्री के महत्व को समझ चुके थे।1946 में जब कांग्रेस सरकार का गठन हुआ तो इस ‘छोटे से डायनमो’ को देश के शासन में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए कहा गया।उन्हें अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया और जल्द ही वे गृह मंत्री के पद पर भी आसीन हुए।कड़ी मेहनत करने की उनकी क्षमता एवं उनकी दक्षता उत्तर प्रदेश में एक लोकोक्ति बन गई।वे 1951 में नई दिल्ली  गए एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला –रेल मंत्रीपरिवहन एवं संचार मंत्रीवाणिज्य एवं उद्योग मंत्रीगृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे। उनकी प्रतिष्ठा लगातार बढ़ रही थी।एक रेल दुर्घटनाजिसमें कई लोग मारे गए थेके लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।देश एवं संसद ने उनके इस अभूतपूर्व पहल को काफी सराहा।तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने इस घटना पर संसद में बोलते हुए लाल बहादुर शास्त्री की ईमानदारी एवं उच्च आदर्शों की काफी तारीफ की। 
उन्होंने कहा कि उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री का इस्तीफा इसलिए नहीं स्वीकार किया है कि जो कुछ हुआ वे इसके लिए जिम्मेदार हैं बल्कि इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि इससे संवैधानिक मर्यादा में एक मिसाल कायम होगी।रेल दुर्घटना पर लंबी बहस का जवाब देते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने कहा; “शायद मेरे लंबाई में छोटे होने एवं नम्र होने के कारण लोगों को लगता है कि मैं बहुत दृढ नहीं हो पा रहा हूँ।यद्यपि शारीरिक रूप से में मैं मजबूत नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि मैं आंतरिक रूप से इतना कमजोर भी नहीं हूँ।
अपने मंत्रालय के कामकाज के दौरान भी वे कांग्रेस पार्टी से संबंधित मामलों को देखते रहे एवं उसमें अपना भरपूर योगदान दिया। 1952, 1957 एवं 1962 के आम चुनावों में पार्टी की निर्णायक एवं जबर्दस्त सफलता में उनकी सांगठनिक प्रतिभा एवं चीजों को नजदीक से परखने की उनकी अद्भुत क्षमता का बड़ा योगदान था।
तीस से अधिक वर्षों तक अपनी समर्पित सेवा के दौरान लाल बहादुर शास्त्री अपनी उदात्त निष्ठा एवं क्षमता के लिए लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए।विनम्रदृढसहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा।वे दूरदर्शी थे जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आये।लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे।अपने गुरु महात्मा गाँधी के ही लहजे में एक बार उन्होंने कहा था – “मेहनत प्रार्थना करने के समान है।” महात्मा गांधी के समान विचार रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ पहचान हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

Gandhi Jayanti 2019: जानिए 2 अक्टूबर को क्यों मनाई जाती है गांधी जयंती:knowledge


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Mahatma Gandhi Jayanti: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर (2 October) को धूमधाम से देश भर में मनाई जाती है है. बापू के जन्मदिन के मौके पर देश भर में स्कूलों और दफ्तरों में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) था. अहिंसा आंदोलन के दम पर देश को आजादी दिलाने वाले बापू आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. देश की आजादी के लिए गांधी जी कई बार जेल भी गए थे. गांधी जी का जन्म (Mahatma Gandhi Birthday) 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. महात्मा गांधीलंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए गए थे. उन्होंने लंदन में पढ़ाई कर बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी. जब गांधी जी भारत वापस आए तो देश की स्थिति ने उन्हें बहुत प्रभावित किया.जिसके बाद उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. गांधी जी के प्रयासों के चलते ही आज हम आजाद है.
2 अक्टूबर को क्यों मनाई जाती है गांधी जयंती?
गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है. 2 अक्टूबर के दिन गांधी जी का जन्म हुआ था.  इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. गांधी जी विश्व भर में उनके अहिंसात्मक आंदोलन के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है गांधी जी कहते थे कि अहिंसा एक दर्शन है, एक सिद्धांत है और एक अनुभव है जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण करना संभव है.

कैसे मनाई जाती है गांधी जयंती?
गांधी जयंती के दिन लोग राजघाट नई दिल्ली में गांधी प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता हैमहात्मा गांधी की समाधि पर राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में प्रार्थना आयोजित की जाती है. सभी स्कूलों और दफ्तरों में गांधी जयंती का उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है

महात्मा गांधी से जुड़ी 5 रोचक बातें
1. महात्मा गांधी लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये गए थे. उन्होंने लंदन में पढ़ाई कर बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन बंबई उच्च न्यायालय में हुई पहली बहस में वे असफल रहे थे.
2. दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनियों में से एक एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स गांधी जी को सम्मान देने के लिए गोल चश्मा पहनते थे.
3. भारत में छोटी सड़कों को छोड़कर महात्मा गांधी के नाम पर 50 से ज्यादा सड़के हैं. साथ ही गांधी जी के नाम पर विदेशों में करीब 60 सड़के हैं.
4. महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था, लेकिन उन्हें एक बार भी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला
5. बापू रोज 18 किलोमीटर पैदल चलते थे.